अभी देश जिस परिवर्तनशील दौर से गुजर रहा है वो न
सिर्फ़ देश के राजनीतिक सामाजिक वर्तमान और भविष्य के लिए संवेदनशील और महत्वपूर्ण
है बल्कि पूरे विश्व में फ़ैले हुए भारतीय समाज के उन तमाम लोगो के लिए भी जिन्हें
वहां दूर बैठे अब भी इस देश की चिंता खाए जाती है , जो समुंदर पार होते हुए भी
हिंदी समाचार चैनल देख रहे होते हैं , सिर्फ़ अपनों की खबर के लिए , पिछले कुछ दिन
और काल इस लिहाज़ से बहुत ही महत्वपूर्ण रहे हैं ।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ इस सरकार ने
घोटालों और घपलों का जयमाल अपने गले में वरण किया है बल्कि इससे पहले भी आम भारतीय
को ऐसी ही नायाब सरकार और अनमोल मंत्रीगण मिलते रहे हैं । खुद इसी राजनीतिक पार्टी
की एक सरकार जो मौनी बाबा नामक एक प्राणी चलाया करते थे , ने उस समय घपलों और
घोटालों का एक नया राष्ट्रीय(अंतरराष्ट्रीय भी हो सकता है ) रिकॉर्ड अपने नाम किया
था । किंतु अब परिस्थितियां बहुत बदल चुकी हैं और बहुत तेजी से बदलती जा रही
हैं । चाहे दो रोटी की तलाश में गाव से निकल कर शहरों आ पहुंचे लोगों को रोटी
मिली न मिली ये तो पता नहीं किंतु अक्ल जरूर मिल गई , इतनी तो जरूर ही कि वो हजारों
लाखों के न सही करोडों अरबों के घोटाले की खबरों को समझ सके । रही सही कसर , टीवी
, रेडियो और इंटरनेट ने पूरी कर दी है । अब तो कई बातें लोगों को सरकार से पहले ही
पता चल जाती हैं , और अक्सर सरकार से ज्यादा पता लग जाती है । और यही बात सरकार को
सबसे ज्यादा नागवार गुजरती है कि आम जनता को किसी भी सूरत में सरकार से ज्यादा पता
नहीं लगना चाहिए । अब देखिए सरकार के अलावा पब्लिक को कॉमनवेल्थ खेलों के खेल के
बारे में पता चल गया तो हो ही गई न गडबड । अब बेशक इस खेल को भारतीय खिलाडियों की
सफ़लता के लिए याद किया जाए या न किया जाए , कलमाडी के कुकर्मों के लिए जरूर याद
किया जाएगा । खैर , तो कहने का मतलब ये कि अब सरकार चतुर है तो पब्ल्कि भी
चालाक न सही कम से कम होशियार तो हो ही चुकी है ।
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